आज हम लॉज ऑफ नेचर में एक ऐसे विषय पर बात करने जा रहे हैं, जिसके बारे आप लोगो को जरूर पढ़ना चाहिए, क्यूंकि ये आपको सोचने पर मजबूर कर देगा, कि क्या ये सच है, यदि ये संभव है तो कैसे?
पूर्व की कई प्राचीन आध्यात्मिक परंपराओं में चेतना की तीन अवस्थाओं का वर्णन मिलता है,जहां इंसान रोज़ जाता है,सोते समय,जागते हुए और सपनों में,लेकिन चेतना की एक और अवस्था भी है जिसे हम खगोलीय चेतना कहते है,जो भौतिक दुनिया से बिल्कुल अलग होती है,असल में वो ब्रह्मांड का पूरा इतिहास है।हालांकि हम उसे अपनी आंखों से देख नहीं सकते,लेकिन इलेक्ट्रोमैगनेटिक वव्स की एक आभासी दुनिया भी है
जो हमारी दुनिया से मिलती है,और उन तरंगों का विशाल नेटवर्क पूरी जानकारियों और आंकड़ों को अपने अंदर समेटे हुए है,जिनके उपर हम आज के युग में निर्भर हैं। वो उस चीज की जान है जिसे आज हम क्लाउड कहते हैं और उसके अंदर दूर से हीं करोड़ों गीगाबाइट के आंकड़े जमा होते हैं, इतिहासकार मानते हैं एक सुपर इंटरगलैक्टिक कंप्यूटर नेटवर्क की कल्पना सबसे पहले वैज्ञानिक जे सी आर लेक राइडर ने 1960 के दशक में किया था,मगर प्राचीन अंतरिक्ष विचारक थेरेस मानते हैं कि इसकी शुरुआत तो काफी समय पहले ही हो गया था, हमारे अतीत में।
कोरबा द्वीप, रायचूर भारत,ज्ञान की तलाश में बहुत से धार्मिक तीर्थ यात्री यहां नारद के मंदिर में आते हैं,हिन्दू धर्म ग्रंथ के मुताबिक नारद में एक आलौकिक क्षमता थी कि वे छिपी हुई दुनिया में भी चले जाते थे,जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते थे,वो दुनिया थी खगोलीय ज्ञान की। नारद की चर्चा हमें रामायण,महाभारत और पुराणों में भी मिलती है,माना जाता है कि नारद तीनों लोको में घूमते थे,और वहां से जमा किए ज्ञान का प्रचार जगह जगह करते थे,धर्म ग्रंथो में नारद को एक मार्ग दर्शक के रूप में भी जाना जाता है।नारद को नारद मुनि या नारद ऋषि कहा जाता है। ऋषिओ की ये क्षमता होती है कि ये सीधे सीधे ब्रह्मांड से ज्ञान प्राप्त कर लेते हैं।नारद इसलिए भी दिलचस्प लगते हैं,क्यूंकि वे दिव्य खगोलीय संरचना से भी ज्ञान प्राप्त कर लेते थे, जो अन्य देवताओं के लिए टेढ़ी खीर थी।
खगोलीय ज्ञान के उस दूसरी दुनिया के भंडार को आज हम अकशिक रिकॉर्ड के नाम से जानते हैं।1883 में इसे ये नाम दिया था,लेखक अल्फ्रेड पर्सी सेनेट ने अपनी किताब ईएसेट्रिक बुधिज्म में,इस किताब में उन्होंने लिखा है,पूर्व के दर्शन में ये माना जाता है,की वो व्यापक ज्ञान भौतिक रूप में एक ऎसी दुनिया में संगृहीत हैं,जिसे आकाश कहते हैं,और वहां तक सिर्फ ज्ञानी लोग ही पहुंच सकते हैं।
आकाशिक संस्कृत भाषा का एक शब्द है,जिसका मतलब होता है आसमान, तो हम इस लिहाज से इसे खगोलीय ज्ञान का क्षेत्र कह सकते हैं,वह ज्ञान उसी ब्रह्मांड में समाया है,आसमान में लिखा है वो वह कोई वैसा ज्ञान नहीं की हम उसे उसके भौतिक रूप में प्राप्त कर सकें।
उस ज्ञान तक सिर्फ अपनी मानसिक शक्ति से,अपनी आध्यात्मिक वेवलेंथ से हीं पहुंच सकते हैं,इसे पाने का और कोई तरीका नहीं है।
ब्रह्मांड बिना तार का एक अनंत नेटवर्क है,जिसमें सिर्फ हमारी सोंच या विचार ही नहीं जमा हैं,वल्कि इस ब्रह्मांड में मौजूद हर प्राणी की जानकारी जमा है,और ज्ञान का ये विशाल भंडार हमारे साथ तब से हैं जब से इस ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई है।
अक़ाशिक रिकॉर्ड ही वह स्रोत है जहां से हर आविष्कार का जन्म हुआ हर कला का उद्गम हुआ या जो भी आविष्कार होने वाला है और जो भी नई जानकारी हमे मिलने वाली है,वो सब हमे वहीं से मिलेगा,हमारा दिमाग एक यंत्र है जो उस खगोलीय ज्ञान के क्लाउड से जुड़ता है और उसके ज्ञान को प्राप्त करता है, और इस भौतिक दुनिया में इसका प्रयोग दिखता है।
ये खगोलीय ज्ञान का क्षेत्र हमे दिखाई नहीं देता,किन्तु हम वहां तक अपनी आत्मा के माध्यम से पहुंच सकते है और उस ज्ञान को प्राप्त कर सकते हैं,जो हमसे छुपी हुई हैं,वो ज्ञान अपनी जगह हमेशा बना रहता है किन्तु उसके दरवाजे वहीं खोल सकता है,जो उसके खोलने का तरीका जानता हो।
अकाशिक रिकॉर्ड वास्तव में एक ज्ञान का एक ऐसा भंडार है जिसका इस्तेमाल इस ब्रह्मांड का हर जीव कर सकता है,और शायद परग्रही भी इसका प्रयोग कर सकते हैं और शायद करते भी हैं।ब्रह्मांड के उस दिव्य खगोलीय ज्ञान को प्राप्त करने के लिए अपने मन पर काबू और उसे शांत करना पड़ता है।
जिस भी व्यक्ति का मन जितना ज्यादा शांत होगा उसके मन से निकलने वाली खगोलीय तरंगों की वेवलेंथ भी उत्नही लंबी होगी और और उस ज्ञान के क्षेत्र तक जल्दी भी पहुंचेगी।
यदि ज्ञान का कोई ऐसा दिव्य खगोलीय क्षेत्र सचमुच है,तो क्या इंसान भी वहां तक जा सकता है।
इससे जुड़े कुछ और सबूत शायद इससे मिल सकें कि गहन शांति की अवस्था में हमारे दिमाग में क्या होता है।
तो क्या कहा जा सकता है की आकशिक फील्ड भी हमारे क्लाउड जैसा ही है,जिसमें क्लाउड से कहीं ज़्यादा आंकड़े जमा हैं,यदि ये सच है तो उस क्षेत्र में ये आंकड़े कौन अपलोड कर रहा है और क्यूं।ये है the akashic record.
Really it's a advanced knowledge..
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