श्रीनिवास रामानुजन का परग्रही संबंध
हर युग में जन्म लेते हैं, कुछ ऐसे बच्चे, जिनमें ऐसी गजब कि काबिलियत होती है, जो हमेशा से ही साधारण जन मानस को हैरान करते आए हैं। ये बच्चे बचपन से ही विलक्षण प्रतिभा के धनी होते हैं, ये कम उम्र में ही ऐसी चीजे सीख लेते हैं, जिनका किसी भी तरह से उस छोटी उम्र में सीख पाना मुश्किल होता है।
एक ऐसे ही विलक्षण बुद्धि वाले बालक(श्रीनिवास रामानुजन) का जन्म तमिलनाडु राज्य के इरोड गांव में 22 दिसम्बर 1887 को हुआ, जो भारत में स्थित है। हालांकि श्रीनिवास रामानुजन एक लम्बी आयु नहीं प्राप्त कर पाए और 32 वर्ष की उम्र में हेपटिक अमोबियासिस नामक बीमारी के वजह से 26 अप्रैल 1920 को दीर्घ निंद्रा में सो गए।
लेकिन इन 32 वर्षो के जीवनकाल में इन्होंने जो कर दिखाया, शायद कोई सैकड़ों वर्षों की जीवन अवधि में भी ना कर पाए।
एमोरी यूनिवर्सिटी, अटलांटा जॉर्जिया, दिसंबर 2012 – एक लंबे समय के अध्ययन के बाद गणितज्ञ केन ऑनो और उनके दो साथियों ने एक ऐसे मैथमेटिकल फार्मूले को पाया जो ब्लैक होल को एक नए तरीके से अध्ययन करने में मदद करता है। केन ऑनो ने उस गणितीय फॉर्म्युले के कुछ पैराग्राफ को पढ़ते ही समझ लिया, कि ये एक पूरी तरह से नया तरीका है, जो ब्लैक होल के अध्ययन को एक नया मोड़ दे सकता है।
पता चला कि ये गणितीय फॉर्मूला लगभग 9 दशक पहले श्रीनिवास रामानुजन द्वारा लिखा गया था।
श्रीनिवास रामानुजन एक भारतीय गणितज्ञ थे, जो दुनिया के अन्य गणितज्ञों से बिल्कुल अलग थे। श्रीनिवास रामानुजन ने गणित के क्षेत्र में कुछ ऐसे काम किए हैं , जो सुपर स्ट्रींग थिअरी, मल्टी डायमेंशनल फिजिक्स , और बहुत ही अडवांस्ड मैथ का आधार है, और आज के वैज्ञानिक भी इन्हीं सभी गणितीय सिद्धांतो द्वारा ही इन सभी घटनाओं का अध्ययन करते रहते हैं, और इनको समझने की कोशिश करते रहते है।
कुछ वैज्ञानिकों का मानना है, कि रामानुजन के कुछ अडवांस्ड गणितीय सिद्धांते तो ऐसी है, जो समय यात्रा और एंटी ग्रेविटी जैसी भविष्य की तकनीक के अध्ययन में मददगार साबित हो सकती हैं।
श्रीनिवास रामानुजन ने गणित के क्षेत्र में – नंबर थियोरीज , मैथमेटिकल एनालिसिस , कंटिन्यूड फ्रेक्शनस , इंफिनिटी सीरीज और कुछ ऐसे मैथमेटिकल प्रॉब्लम्स के हल दिए हैं, जो काफी सालो से गणितज्ञों द्वारा हल नहीं हो पा रहे थे। रामानुजन ने 4000 से भी ज्यादा सर्वसमिकाए दी है, जो अल्जेब्रा को बहुत आसान बनाती हैं। रामानुजन के नंबर थियोरीज में 36 ऐसे थियोरीज हैं , जो अभी भी हल नहीं हो पाए हैं। इसके अलावा रामानुजन ने गणित के दुनिया में और भी कई योगदान दिए है, जो प्रशंसनीय है।
किसी भी व्यक्ति के लिए इतने कम समय में इतने ज्यादा खोजे करना बहुत ही मुश्किल है। लेकिन रामानुजन ने इतने कम उम्र में इतनी उपलब्धियां कैसे प्राप्त कर ली?, वो भी अपने आप को अकेले में रखकर, रामानुजन अक्सर अकेले में गणित पढ़ा करते थे। लेकिन अकेले में पढ़ाई करने से कोई इतना ज्यादा विलक्षण बुद्धि वाला कैसे बन सकता है?
रामानुजन का मानना था कि वे संख्याओं के साथ इसलिए खेल पाते थे, क्यूंकि उन्हे संख्याओं के साथ खेलना सिखाया जाता था, उनका मानना था कि ये जितने भी सर्वसामिकाए है, ये ईश्वर के साथ जुड़ने के मंत्र है, और ये ईश्वर के संदेश है, और इसलिए रामानुजन इन सभी सर्वसमिकाओ को मंत्र कहा करते थे।
रामानुजन के कथन के अनुसार उन्होंने जितने भी गणित में उपलब्धियां हासिल की है, वो सभी उनके इष्ट देवता नामगीरी के इच्छा से हुआ है। वो कहते थे, कि सपने में उनके इष्ट देवता आते थे, और उन्हे नए नए गणितीय संदेश देते थे, और उन्हे संख्याओं के साथ खेलना सिखाते थे।
हो सकता है, कि श्रीनिवास रामानुजन किसी नामगिरी नाम के परग्रही के साथ अपने सपने में बातचीत करते हों? ये भी हो सकता है, कि वो नामगीरि नाम के परग्रही ने ही रामानुजन को वो तमाम गणितीय संदेश दिए हो? यदि ऐसा है, तो वो परग्रही रामानुजन के संपर्क में कैसे आया, या रामानुजन ने उससे संपर्क कैसे किया , और वो नामगिरि देवता रामानुजन को ही ये संदेश क्यूं देता था, और यदि देता भी था, तो उसका इसके पीछे क्या मकसद हो सकता है?
श्रीनिवासन रामानुजन के इष्ट देवता नामगिरी |
कहीं ऐसा तो नहीं रामानुजन के इतने कम उम्र में देहांत का कारण ये नामगिरी देवता हो, ऐसा इसलिए क्योंकि रामानुजन ने दुनिया को ये बताने की कोशिश कि की उसके गणित के प्रति इस विलक्षण ज्ञान के पीछे सपने में आई उनकी इष्ट देवता नामगिरी है, और शायद वो देवता ना चाहता हो कि दुनिया को इस सच का पता चले, और हो सकता है कि, दुनिया को पता चल जाने के वजह से उसने रामानुजन को हेपटिक अमोबियासिस बीमारी देकर मार दिया हो?
खैर जो भी हो लेकिन इन बातों से ऐसा लगता है, कि श्रीनिवास रामानुजन का कहीं न कहीं ऐसे लोगो के साथ संपर्क था, जो किसी अन्य ही डाइमेंशन में रहते थे। लेकिन हम इसकी सत्यता को प्रामाणिक नहीं करते हैं।
yes it seems that a lot of people got knowledge from extraterrestrial sources, and it shaped our civilization